नवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शन

नवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शन
नवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शननवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शन
■ चेयरमैन नौतनवा गुड्डु खान ने माँ बनैलिया समया माता मंदिर में आये श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया
संवाददाता.विजय चौरसिया
इंडो नेपाल न्यूज ब्यूरो सोनौली :शारदीय नवरात्र के पवन अवसर पर माँ बनैलिया समया माता मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। व्रतियों ने मां महागौरी व मां सिद्धदात्री का पूजा अर्चना किया । माँ बनैलिया समया माता भारत ही नही बल्कि नेपाल में भी बिख्यात है । मान्यता है कि माँ बनैलिया के दर से कोई भी भक्त निराश नही लौटता है ।
नवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शन
शारदीय नवरात्र के पावन इस अवसर पर नौतनवा के चेयरमैंन गुड्डु खान माँ बनैलिया के दरबार में पहुचकर माथा टेका और अपना स्टाल लगाकर माँ के भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया।
इस अवसर पर श्री खान ने कहा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रसाद वितरित किया गया हमारी आस्था माँ के चरणों मे पूरी है माँ हमारे हर आपदा बिपदा को दूर करती है माता रानी सबकी मनोकामना पूर्ण कर।
इस अवसर पर बृजेश मणि त्रिपाठी,बन्टी पाण्डेय,शाहनवाज खान,रामाशकर सिंह, रविकान्त वर्मा,अशोक कुमार, प्रताप नारायण गौतम, संजय मौर्या,राजेन्द्र जायसवाल, धीरेन्द्र सागर चौरसिया,सत्य प्रकाश,आदि कई लोग उपस्थित रहे।
बतादे की भोर से ही माँ बनैलिया के दरबार मे भक्तजनो को उनके दर्शन के लिए लम्बी तीन-तीन कतारे लगी रही  । महिला पुरुष सभी अपने कतार में लग कर जयकारे लगते रहे माता का दर्शन और माथा टेकने के लिए उत्सुक रहे ।
मन्दिर प्रंगण श्रद्धालुओं से भरा रहा हर तरफ मंत्र उचारण के शब्द गुज रहे थे । हवन कुंडा के घुप कपूर से उठ रहे धुंए बातावरण स्वच्छ बना रहे थे ।
नवरात्रि 2018:नवरात्र में माँ बनैलिया अपने सच्चे भक्तों को देती है दर्शन

माँ बनैलिया देवी मन्दिर का परिचय

पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा को जोड़ने वाला नगर नौतनवा में वन देवी अर्थात मां बनैलिया के नाम से विख्यात मंदिर स्थित है। मंदिर के इतिहास के सम्बंध में बताया जाता है कि अज्ञात वास के दौरान राजा विराट के भवन से लौटते समय पाण्डवों ने मां वन शक्ति की यहां पर अराधना किया था। जिससे प्रसन्न होकर मां ने पिण्डी स्वरूप में पाण्डवों को दर्शन दिया। कालांतर में मां की पिण्डी खेतों के बीच समाहित हो गई। एक दिन खेत जोत रहे किसान केदार मिश्र को स्वप्न में मां ने कहा कि यहां पर मेरी पिण्डी खोजकर मेरे मंदिर का निर्माण करो। इसके बाद केदार मिश्र ने सन 1888 में यहां पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया। जो आज विशालकाय मंदिर के रूप में स्थापित हो चुका है। जिसकी स्थापना 20 जनवरी 1991 को विधि पूर्वक हुई। प्रतिवर्ष इस दिन को वार्षिकोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां पर आने वाले हर भक्त की इच्छा मां पूरा करती है। चूंकि मां को हाथी बहुत पसंद है, इसलिए इच्छा पूरी होने पर श्रद्धालु यहां पर हाथी की मूर्ति चढ़ाते हैं।

मंदिर का वास्तु

मंदिर का निर्माण वृताकार अरघा नुमा संरचना है, जिसके अंदर मां के नौ स्वरूपों को स्थापित किया गया है। केन्द्र में मां बनैलिया की भव्य प्रतिमा शोभायमान है। मंदिर वर्ताकार होने के कारण मां का परिक्रमा मंदिर के अंदर ही जाती है।

कैसे पहुंचे

माँ के मंदिर पहुंचने के लिए रेल एवं सड़क दोनो मार्गों से साधन उपलब्ध है। गोरखपुर से चलकर नौतनवा आने पर रिक्शा एवं आटो की मदद से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पर देश के कोने-कोने यात्री आते है वही 5 किलो मीटर दूर पर स्तिथ मित्र राष्ट्र नेपाल से भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं। मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों के रात्रि भोजन,निवास की व्यवस्था भी है ।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Translate »
  1. ब्रेकिंग न्यूज़: ऊ०प्र०- जिले की हर छोटी बड़ी खबर लाइव देखने के लिए
  2. जुड़े रहे इंडोनेपालन्यूज़ के फेसबुक पेज से, शहर के हर छोटी बड़ी खबर हम आपको लाइव दिखाएंगे