राफेल पर बवाल:भाजपा बोली- विपक्ष का झूठ उजागर

राफेल पर बवाल:भाजपा बोली- विपक्ष का झूठ उजागर

राफेल पर बवाल:भाजपा बोली- विपक्ष का झूठ उजागर हुआ,कांग्रेस का आरोप- दोगुनी से ज्यादा कीमत पर खरीदे गए जेट
आई एन न्यूज नई दिल्ली डेस्क:
एयरफोर्स में हाल ही में शामिल किए गए 36 राफेल जेट पर एक बार फिर सियासी अटैक हुआ है। फ्रांस की मैगजीन मीडियापार्ट की तरफ से हुए कथित खुलासों के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर-अप एक बार फिर उजागर हो गया है।’
इस पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मीडियापार्ट की रिपोर्ट का ही हवाला देते हुए कांग्रेस पर राफेल डील में कमीशन लेने का आरोप लगाया है।
पात्रा ने कहा, ‘राफेल में कमीशन का पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ। इस दौरान देश में UPA की ही सरकार थी। उन्होंने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की?’
फ्रांस से मिले 36 राफेल विमानों को इंडियन एयरफोर्स ने 2 स्क्वाड्रन में तैनात किया है। अगस्ता वेस्टलैंड और राफेल केस में एक ही बिचौलिया
खेड़ा ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का बलिदान दिया है, भारतीय वायु सेना के हितों को खतरे में डालकर देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है।’ इस पर पात्रा ने कहा कि रिपोर्ट में एक बिचौलिए सुषेन गुप्ता के नाम का जिक्र है। चौंकाने वाली बात ये है कि गुप्ता वही बिचौलिया है, जिसका नाम अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में भी सामने आया था। पात्रा ने राफेल के मामले में 40% तक कमीशन वसूली का आरोप लगाया।
36 राफेल जेट की कीमत में 41 हजार करोड़ का अंतर—
इधर कांग्रेस ने कहा कि राफेल घोटाला तथाकथित 60 से 80 करोड़ के कमीशन का नहीं है। यह सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है। कांग्रेस- UPA की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समेत एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी। मोदी सरकार ने बिना टेंडर के वही राफेल विमान 1670 करोड़ में खरीदा। इस तरह 36 जेट की लागत में अंतर करीब 41,205 करोड़ है।
राफेल एक मीडियम मल्टीरोल फाइटर है, इसमें मिड एयर रिफ्यूलिंग की सुविधा मौजूद है। कमीशन के लिए 10 साल तक अटकाए रखी डील
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए पात्रा ने कहा कि 10 साल तक भारतीय वायुसेना के पास फाइटर एयरक्राफ्ट नहीं थे। 10 साल तक सिर्फ समझौता किया गया और डील को अटकाए रखा गया। ये समझौता सिर्फ कमीशन के लिए अटकाए रखा गया। ये समझौता एयरक्राफ्ट के लिए नहीं हो रहा था, बल्कि कमीशन के लिए हो रहा था।

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