माँ बनैलिया की शोभायात्रा आज,पूरा नगर केसरिया ध्वज से सजा

माँ बनैलिया की शोभायात्रा आज,पूरा नगर केसरिया ध्वज से सजा

माँ बनैलिया की शोभायात्रा आज,पूरा नगर केसरिया ध्वज से सजा

विशेष संवाददाता-विजय चौरसिया

आई एन न्यूज ब्यूरो नौतनवा : नौतनवा नगर स्थित विख्यात मां बनैलिया मंदिर का वार्षिकोत्सव हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इसे लेकर पिछले एक महीने से चल रही मंदिर परिसर की तैयारियां पूरी हो गई हैं। आज नगर में मां बनैलिया की झांकी के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसमें नगर सहित नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिरकत करेंगे। श्रद्धालु हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मां बनैलिया के 27वां वार्षिकोत्सव मनाने को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।माँ बनैलिया की शोभायात्रा आज,पूरा नगर केसरिया ध्वज से सजा

मां बनैलिया का वार्षिकोत्सव पिछले 27 वर्षों से लगातार मनाया जा रहा है। नगर एवं आसपास की जनता 20 जनवरी को इसे एक त्योहार के रूप में मिलजुल कर मनाती है। नौतनवा वासियों के लिए यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन शहर के लोग मंदिर में पहुंचकर विधि-विधान से मां बनैलिया की पूजा- अर्चना करते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा मां बनैलिया को भोग लगाने के बाद मंदिर परिसर से श्रद्धालुओं की टोली मां बनैलिया की झांकी के साथ शोभायात्रा में तब्दील होकर नगर भ्रमण के लिए निकलती है।

माँ बनैलिया देवी मन्दिर का परिचय

पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा को जोड़ने वाला नगर नौतनवा में वन देवी अर्थात मां बनैलिया के नाम से विख्यात मंदिर स्थित है। मंदिर के इतिहास के सम्बंध में बताया जाता है कि अज्ञात वास के दौरान राजा विराट के भवन से लौटते समय पाण्डवों ने मां वन शक्ति की यहां पर अराधना किया था। जिससे प्रसन्न होकर मां ने पिण्डी स्वरूप में पाण्डवों को दर्शन दिया। कालांतर में मां की पिण्डी खेतों के बीच समाहित हो गई। एक दिन खेत जोत रहे किसान केदार मिश्र को स्वप्न में मां ने कहा कि यहां पर मेरी पिण्डी खोजकर मेरे मंदिर का निर्माण करो। इसके बाद केदार मिश्र ने सन 1888 में यहां पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया। जो आज विशालकाय मंदिर के रूप में स्थापित हो चुका है। जिसकी स्थापना 20 जनवरी 1991 को विधि पूर्वक हुई। प्रतिवर्ष इस दिन को वार्षिकोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां पर आने वाले हर भक्त की इच्छा मां पूरा करती है। चूंकि मां को हाथी बहुत पसंद है, इसलिए इच्छा पूरी होने पर श्रद्धालु यहां पर हाथी की मूर्ति चढ़ाते हैं।

मंदिर का वास्तु

मंदिर का निर्माण वृताकार अरघा नुमा संरचना है, जिसके अंदर मां के नौ स्वरूपों को स्थापित किया गया है। केन्द्र में मां बनैलिया की भव्य प्रतिमा शोभायमान है। मंदिर वर्ताकार होने के कारण मां का परिक्रमा मंदिर के अंदर ही जाती है।

कैसे पहुंचे

माँ के मंदिर पहुंचने के लिए रेल एवं सड़क दोनो मार्गों से साधन उपलब्ध है। गोरखपुर से चलकर नौतनवा आने पर रिक्शा एवं आटो की मदद से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पर देश के कोने-कोने यात्री आते है वही 5 किलो मीटर दूर पर स्तिथ मित्र राष्ट्र नेपाल से भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं। मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों के रात्रि भोजन,निवास की व्यवस्था भी है । 

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